Author: Sonam
भगवान के भरोसे मत बैठिए क्या पता भगवान हमारे भरोसे बैठा हो
पैदा तो मैं भी शरीफ हुआ था, पर शराफत से अपनी कभी नहीं बनी
खेल कोई भी हो हम गरीब लोग या तो जीतते हैं या सीखते हैं हारते कभी नहीं
धंधे में दो चीजों पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए एक तो खुद से पैदा होने वाले खौफ पे और दूसरा किसी के साथ पे
मेरी अम्मी कहती है कि कभी कभी गलत ट्रेन भी सही जगह पहुंचा देती है
जीत में तो हर आदमी साथ देता है साथी तो वो है जो हार में भी साथ दे
जिसे जिंदगी की परवाह होती है मां कसम, मरने को मजा उसी को आता है
तोहार को इतना चाहते है, इतना चाहते है, इतना चाहते है, इतना चाहते है, कितना चाहते है का बताये सीना चीर के दिखाए बजरंगबली जैसा
मैं मौत को छूकर टक से वापस आ सकता हूं'